विदिशा को मध्य काल में भिलसा के नाम से भी जाना जाता था। यह शहर प्राचीन अवशेष और ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। प्रचीन शहर बेसनगर के अवशेष और उदयगिरि की गुफाओं को देखने से इस बात का अंदाजा तो हो ही जाता है कि प्रचीन गुप्त साम्राज्य का गौरव निर्मम समय की भेंट चढ़ गया है। मध्यप्रदेश में स्थित विदिशा राज्य की राजधानी भोपाल से कुछ ही दूरी पर है। जब आप विदिशा के इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि करीब 2600 साल पहले यह जगह व्यपार का प्रमुख केन्द्र था।ऐसा कहा जाता है कि करीब 1000 साल पहले सम्राट अशोक विदिशा के गवर्नर हुआ करते थे। विदिशा घूमते समय आपको अनायास ही शाहरुख खान की याद आ जायेगी। फिल्म अशोका में उन्हें इसी शहर में एक सफेद घोड़े को सरपट दौड़ाते हुए दिखाया गया है।
विदिशा और आसपास के पर्यटन स्थल -
विदिशा की आर्थिक गतिविधियों में पर्यटन की अहम भूमिका है। यह शहर पर्यटन की दृष्टि से काफी समृद्ध है और यहां धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व के कई पर्यटन स्थल हैं। यहां कई प्रसिद्ध मूर्तियां, शिलालेख, खंडहर और पुरातात्विक कार्यस्थल हैं। विदिशा के कुछ महत्वपूर्ण मंदिरों में गिरधारी मंदिर, उदयेश्वर मंदिर, दशावतार मंदिर, मालादेवी मंदिर, बाजरामठ मंदिर, गाडरमल मंदिर और सोला खंबी मंदिर शामिल है। यहां का एक प्रमुख तीर्थस्थल बीजामंडल अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।
विदिशा स्थित सिरोंज जैन समुदाय का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। खंबा बाबा के नाम से जाना जाने वाला हेलियोडोरस स्तंभ विदिशा का एक और दर्शनीय स्थल है। इसके अलावा विदिशा पर्यटन में उदयगिरि की गुफाएं सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं। ग्यारसपुर की आसाधारण मूर्ति और शालभंजिका इस जगह का एक और महत्वपूर्ण आकर्षण है। विदिशा का लोहंगी पीर और हिंडोला तोरण का भी विशेष ऐतिहासिक महत्व है। यहां के धरमपुर में सन् 155 की प्रसिद्ध जैन मूर्ति पाई गई थी।
विदिशा कैसे पहुंचे -
हवाई, रेल और सड़क मार्ग से विदिशा आसानी से पहुंचा जा सकता है। विदिशा का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट भोपाल का राजाभोज एयरपोर्ट है। इतना ही नहीं विदिशा में रेलवे स्टेशन भी है। घूमने का सबसे अच्छा समय मानसून और ठंड के मौसम में विदिशा घूमा जा सकता है। इस दौरान मौसम काफी खुशगवार रहता है। ठंड में अक्टूबर से मार्च के बीच का समय विदिशा घूमने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।